How To Call Lord Shiva For Help ? | कैसे बुलाये महादेव को मदद के लिए ?
नमस्कार दोस्तों आज हम जानेंगे देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के उपाय और मंत्र के बारे में | देवाधिदेव महादेव को भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है | भक्त हमेशा ही पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ महादेव की भक्ति करते हैं| सनातन धर्म में भी शिवजी की पूजा का एक खास महत्व बताया गया है | महादेव बड़े ही बोले है इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहाँ जाता है | शिवजी अपने भक्त की भक्ति से बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. अपने भगवान भोलेनाथ को शिवलिंग पर केवल एक लोटा जल रोज चढ़ाएं तो भी महादेव प्रसन्न हो जाते हैं, साथ ही दोषों से मुक्ति पाने के लिए भी महादेव को ही याद किया जाता हैं | पुराणों में शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कई मंत्र बताए गए हैं जो मनोवांछित फल देते हैं | सृष्टि की उत्पत्ति,स्थिति एवं संहार के भी यह आधिपति कहे गए हैं | ऐसे में अगर आप भी आपके जीवन के हर प्रकार के कष्टों को दूर करना चाहते हैं तो शिव जी के कुछ मंत्रों का जाप करें, इन मंत्रों के जाप से प्रभु खुश होकर हर एक कष्ट को दूर कर देते हैं. तो आइये जानते हैं , भगवान शिव को प्रसन्न करने के सबसे सरल एवं सिद्ध किए हुए मंत्र , शिव को बुलाने का मंत्र, सबसे शक्तिशाली मंत्र को |
1.पंचाक्षरी मंत्र
"ॐ नम: शिवाय |"
ये भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र या मूल मंत्र भी कहलाता है। यह शिव जी का सबसे जानामाना और आम मंत्र है जिसका अर्थ है कि मैं शिव जी के समक्ष झुकता हूं | कहा जाता है कि इस पंचक्षरी मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करने से व्यक्ति का शरीर और दिमाग शांत होता है और उसपर महादेव असीम कृपा होती है | इस मंत्र का श्रद्धापूर्वक जाप करने से सभी कष्टों तथा संकटों से मुक्ति मिलती है | तथा जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य (मोक्ष) की भी प्राप्ति होती है।
2. महामृत्युंजय मंत्र
"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥"
भगवान शिव का महामृत्युंजय मंत्र अकाल मृत्यु की बाधा को नाश करने वाला मंत्र है। जिस व्यक्ति की कुण्डली में अकाल मृत्य योग हो, उसे नित्य महामृत्युंजय मंत्र का जाप कराना चाहिए। जो भक्त इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करता है, उसके रोग, दोष तथा सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
3. लघु महामृत्युंजय मंत्र
"ॐ हौं जूं सः"
जिनके लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना कठिन हो, उन्हें लघु महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। रात्रि में इस मंत्र का जाप करके भगवान शिव को दूध और जल चढ़ाने से सभी रोग भी दूर हो जाते हैं।
4. शिव गायत्री मंत्र
"ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।"
शिव गायत्री मंत्र का जाप करने से सुख, शांति और संतोष की प्राप्ति होती है। व्यक्ति के ज्ञान में वृद्धि होती है |
5.शिव रूद्र मंत्र
"ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः"
इस मंत्र को रुद्र मंत्र (Rudra Mantra) भी कहते हैं | माना जाता है कि ये रूद्र मंत्र आपकी सभी मनोकामनाएं शिवजी तक पहुंचाता है |
6. क्षमा प्राप्ति मंत्र
"करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥ "
शिवजी से क्षमाप्राप्ति के लिए इस मंत्र का जाप करना शुभ होता है. कहा जाता है कि इस मंत्र के जाप से शिवजी प्रसन्न होकर भक्त को आशीर्वाद देते हैं |
भगवान शिव के प्रभावशाली मंत्र-
1.ॐ नम: शिवाय |
2. ॐ सर्वात्मने नम:
3. ॐ त्रिनेत्राय नम:
4. ॐ हराय नम:
5. ॐ इन्द्रमुखाय नम:
6. ॐ श्रीकंठाय नम:
7. ॐ वामदेवाय नम:
8. ॐ तत्पुरुषाय नम:
9. ॐ ईशानाय नम:
10. ॐ अनंतधर्माय नम:
11. ॐ ज्ञानभूताय नम:
12. ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:
13. ॐ प्रधानाय नम:
14. ॐ व्योमात्मने नम:
15. ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम:
शिव आवाहन मंत्र ( How to impress Lord Shiva by mantra? )
ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।
तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।
वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।
नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।
आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।
त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।
नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।
नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।
देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।
नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।
नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।
अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।
नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।
सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।
शिव के प्रिय मंत्र-
1. ॐ नमः शिवाय।
2. नमो नीलकण्ठाय।
3. ॐ पार्वतीपतये नमः।
4. ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
5. ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
पूजा में प्रतिदिर करें इसका पाठ करें-
नमामिशमीशान निर्वाण रूपं।
विभुं व्यापकं ब्रम्ह्वेद स्वरूपं।।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं।
चिदाकाश माकाश वासं भजेयम।।
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं।
गिराज्ञान गोतीत मीशं गिरीशं।।
करालं महाकाल कालं कृपालं।
गुणागार संसार पारं नतोहं।।
(Disclaimer: यहां दी गई सारी जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है | हम इसकी पुष्टि नहीं करते है | )