Yoga Meaning In Hindi : नमस्कार दोस्तों योग हमारे संस्कृति की बेहद प्राचीन धरोहर है तो आज हम जानेंगे की योग की उत्पति कैसे हुई योग कितने प्रकार के होते है, योग करने से हमें क्या फायदे होते है और योग करने का सही समय कौन सा है तो चलिए शुरू करते है.
योग का अर्थ सामान्यत: जुड़ना या एकता होता है। योग हमारे तन, मन और आत्मा को एक साथ जोड़ने की आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिससे हमारा तन-मन-शरीर संतुलित रहता है। योग हमारे सनातन हिन्दू धर्म के शब्द ' धारणा ' (एकाग्रता ) के साथ जुड़ा हुआ है। यह योग शब्द हिन्दू धर्म में से जैन पंथ और बौद्ध पंथ में ध्यान से सबंधित है, इसके अलावा योग भारत से पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, चीन, जापान, तिब्बत और श्रीलंका में पूरी तरह फ़ैल गया है। इसके साथ अब पूरा विश्व योग शब्द से प्रभावित हो गया है। योग हमें सही तरह से जीवन जीने का मार्ग प्रदान करता है, इसलिए हमें योग को अपने दैनिक जीवन में भी शामिल करना चाहिए, क्योकि योग हमारे दैनिक जीवन से जुडी हुए आध्यात्मिक, भौतिक और मानसिक क्रियाओ को सक्षम बनाता है।
हमारे तन-मन-शरीर की संतुलितता योग के आसन, प्राणायाम, मुद्रा, षट्कर्म और ध्यान के नियमित अभ्यास से प्राप्त होती है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ११ दिसंबर, २०१४ के दिन २१ जून को ' विश्व योग दिवस ' के रूप में मनाने की अनुमति दी है। हमारे धार्मिक ग्रंथ श्रीमद भगवदगीता में कई बार योग शब्द का प्रयोग किया गया है, उनके कुछ अध्याय के नाम जैसे बुद्धियोग, सन्यासयोग, कर्मयोग में भी योग शब्द का इस्तेमाल किया गया है। हमारे वेदो में भी योग का महत्व बताया गया है। योग के शास्त्रीय स्वरूप, उसके दार्शनिक आधार, को सम्यक् रूप से समझना बहुत सरल नहीं है। क्योकि कुछ विद्वान् कहते है की जीवात्मा और परमात्मा के मिलन को योग कहते हैं लेकिन जो ईश्वर को नहीं मानते वो लोग भी योग का समर्थन करते है। वही पतंजलि ने योग के बारे में कहा है की चित्त की वृत्तियों के निरोध का नाम योग है। अनीश्वरवादी सांख्य विद्वान भी उसका अनुमोदन करता है उसके साथ बौद्ध ही नहीं, मुस्लिम सूफ़ी और ईसाई मिस्टिक भी किसी न किसी प्रकार अपने संप्रदाय की मान्यताओं के साथ योग का सामंजस्य स्थापित कर लेते हैं।
श्रीमद भगवद्गीता के अनुसार सुख-दुःख, लाभ-हानि, शत्रु-मित्र, शीत-उष्ण आदि सभी द्वन्दों में समभाव रखना योग है, निष्काम भावना से अनुप्रेरित होकर कर्त्तव्य करने का कौशल भी योग है। सांख्य योग के अनुसार पुरुष एवं प्रकृति के पार्थक्य को स्थापित कर पुरुष का स्व स्वरूप में अवस्थित होना ही योग है। विष्णु पुराण के अनुसार जीवात्मा तथा परमात्मा का पूर्णतया मिलन ही योग है और प्रसिद्ध जैन दार्शनिक आचार्य हरिभद्र के अनुसार मोक्ष से जोड़ने वाले सभी व्यवहार योग है।
योग ग्रंथो में योग के उच्च माध्यम समाधी और मोक्ष तक पहुँचने का वर्णन किया गया है। शिवसंहिता तथा गोरक्षशतक नामक योग पुस्तकों में योग के चार प्रकारों का वर्णन मिलता है - मंत्रयोग, हठयोग, लययोग और राजयोग।
योग के आठ अंग है -
१ ) यम :-
यम में पांच प्रकार के परिहार है, जिसमे अहिंसा, सदा सत्य बोलना, गैर लोभ, गैर विषय आसक्ति और गैर स्वामिगत.का समावेश होता है।
२ ) नियम :-
नियम म पांच प्रकार की धार्मिक क्रियाओ की की बात की गई है, जिसमे पवित्रता, तपस्या, अध्ययन, संतुष्टि और भगवान के प्रति आत्मसमर्पण.का समावेश किया गया है।
३ ) आसन :-
आसान का अर्थ बैठने का आसन होता है।
४ ) प्राणायाम :-
प्राणायाम'का अर्थ होता है हमारे जीवन की शक्ति यानि की प्राण, श्वास को नियंत्रित करना या बंद करना।
५ ) प्रत्याहार :-
६ ) धारणा :-
धारणा का अर्थ होता है एकाग्रता। एकाग्रता यानि की एक ही लक्ष्य पर ध्यान रखना।
७ ) ध्यान :-
ध्यान का अर्थ होता है ध्यान की वस्तु की प्रकृति का गहन चिंतन.करना।
८ ) समाधि :-
समाधी का अर्थ होता है विमुक्ति। विमुक्ति यानि की ध्यान के वस्तु को चैतन्य के साथ विलय करना। समाधी के दो प्रकार है - सविकल्प और निर्विकल्प। निर्विकल्प समाधि योग पद्धति की चरम अवस्था है, क्योकि उसमे संसार में वापस आने का कोई मार्ग या व्यवस्था नहीं होती है।
योग हमारी प्राचीन धरोहर है। आज योग कई लोगो की दिनचर्या का एक भाग बन गया है। योग के प्रचार में कई योगगुरुओ का योगदान रहा है, बल्कि भारत के अग्रणी योग गुरु बेल्लूर कृष्णमचारी सुंदरराज अयंगार और योगगुरु रामदेव का नाम अधिक प्रसिद्ध है। सर्वप्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया था। भारत के दिल्ली में एक साथ करीब ३५९८५ लोगों ने योग में भाग लिया था और उसमे ८४ देशो के प्रतिनिधिओ ने भाग लिया था। इस दिन पर विश्व के १९२ देशो और ४७ मुस्लिम देशो में भी योग का आयोजन किया गया था। एक जगह पर सबसे अधिक लोगो का एक साथ योग करना और एक साथ सबसे अधिक देशों के लोगों के योग करने पर इस घटना को ' गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ' में दर्ज किया गया है।
योग करने का सब अच्छा समय सूर्योदय से पूर्व दो घंटे का है। सूर्योदय के समय योग का समय न हो तो आप सूर्यास्त को भी योग कर सकते है। योग के लिए हम खुल कर साँस ले सके ऐसी जगह पसंद करनी चाहिए। योग को शरीर की शांतिपूर्ण अवस्था में करना चाहिए। मन को स्त्थिर कर बाहरी दुनिया को छोड़कर खुद पर स्थिर करना चाहिए। महिलाओ को मासिक और गर्भावस्था के दौरान किसी सही गुरु की देखरेख में करना चाहिए।
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